किसी के घर मैं बुजुर्गो को हंसते देखना तो समझ लेना वो घर नहीं मंदिर है। बात कर रही 'स्नेहधरा' की जहाँ आपको ऐसे ही माता-पिता मिलेंगे। इनको नाम के साथ एक परिवार का रूप दिया हमारे डॉ अमित सक्सेना सर और डॉ अर्चना सक्सेना जी ने। मैं उन खुशनसीब लोगो में से हूं जिनको इन माता पिता की सेवा का अवसर मिल जाता है।
पिछले साल जब हम सब कोविड मैं ड्यूटी कर रहे थे, उस समय एक अंकल को लेकर अमित सर हॉस्पिटल में उनकी देखभाल कर रहे थे। उनकी सेवा अतुलनीय है। इसके बाद इस वृद्ध आश्रम में इनके सम्मान में एक प्यारा सा फंक्शन भी रखा रखा गया था।
अभी एक महीने पहले मुझे भी एसजीपीजीआई मैं अमित सर के साथ एक अंकल की सेवा का अवसर मिला। जिनकी अमित सर ने बेटे के रूप में सेवा की, उसकी मैं भी साक्षी हूं। इन सारे प्यारे बंधन की
मेरी कहानी में अमित सर एक रीयल योद्धा हैं और उनके प्रेम स्वरूप ही हमारा सबका स्नेहधरा एक बुजुर्ग आश्रम नही मंदिर है।
बिना सरकारी मदद लिए ऐसा प्यारा काम वही कर सकता हैं जो दिल का अमीर हो।
पूरे सृजन फाउंडेशन को ढेर सारी शुभकामना।
'स्नेहधरा' का मूल ही है सर्वत्र शुभ वाद का संदेश प्रसारित करना। कहते हैं जब हम औरों के काम आते हैं तो ईश्वर के करीब होते हैं। लाखों की कीमत चुका कर हम जिसे पाना चाहते हैं वह है मन की शांति और यही तलाश हमें सृजन फाउंडेशन द्वारा संचालित स्नेहधरा के प्रांगण में लाकर खड़ा करती है। जीवन में सभी ने कहीं ना कहीं संघर्ष किया है और चुनौतियों को देखा है और उसे समाधान में भी बदला है। इस दृष्टि से मैं सहर्ष डॉ अमित सक्सेना और डॉक्टर अर्चना की ओर रुख करूंगी इन्होंने स्नेहधरा के माध्यम से वयोवृद्ध हमारे पिता समान गुरुजनों की सहायता तथा पूर्णरूपेण जीवन यापन हेतु आवश्यकताओं का निर्वाह करते हुए उनके साथ जीवन में खुशियां बिखेरते हुए अपने प्रदर्शन से समाज को गौरवान्वित किया है🙏🙏
ना मांगे वह धन और दौलत ना मांगे उपहार
उनकी तो मन्नत यही है बस बना रहे यह प्यार!🙏 गम ना कोई पास में आए खुशियां मिले अपार
ऐसा ही संदेश है लाता स्नेहधरा परिवार🙏🙏
फ्रूट से ड्राई फ्रूट सदा महंगे होते हैं क्योंकि ड्राई फ्रूट ऐसे फल होते हैं जो वरिष्ठ नागरिक बन चुके होते हैं। इसलिए कभी भी वरिष्ठ नागरिकों को नजरअंदाज ना करें और ना ही कम आंकने का प्रयास करें। अपनी जड़ों को सींचते रहे। वक्त की धूप से पकी हुई चीज वाकई कीमती होती है तभी तो अंगूर से ज्यादा कीमत किशमिश की होती है🙏🙏 अपने वृद्ध माता-पिता को सादर समर्पित🙏🙏
स्नेहधरा मानव सेवा का अद्भुत उदाहरण है। मैं स्नेहधरा की निरंतरता की कामना करती हूँ और स्वयं को भाग्यशाली मानती हूँ जो इन लोगों से मिलने का मुझे परम पिता ने अवसर दिया।
सृजन एक मानसिक प्रक्रिया होती है जिसमें विचार और कल्पना का जन्म होता है। जैसा कि इसके नाम में ही छुपा है कि सृजित करना नये विचारों को।
सृजन फाउंडेशन भी इसी पर आधारित है कुछ अलग और नया सृजन करना यानि कि जब साथ में मिलकर कुछ नया करना जैसे कि छोटी-छोटी खुशियों को ढूंढना और उनको सृजित करना। सादगी के साथ एक-एक मोती को माला में (फाउंडेशन के रूप में) पिरोना। इस माला का हर एक मोती अनमोल और बेशकीमती है और ये जब अपने पास एक माला के रूप में हो तो फिर क्या कहना।
अनमोल मोती मैम अर्चना सक्सेना स्नेहधरा वृद्धाश्रम- प्यार की धरती को संचालित करती हैं। जहां सब अलग है लेकिन सब एक हैं, ऐसी माला सृजित की है सृजन में अर्चना मैम ने अपने स्नेह और त्याग से। सरकारी खर्चे से चलने वाले तो बहुत होते हैं परन्तु स्नेह, प्यार और लगाव से चलता है वो है अपनी प्यार की धरती स्नेहधरा। नतमस्तक हूं इसका हिस्सा बनकर।
मौलिकता और सृजन का आपस में बहुत गहरा रिश्ता होता है। एक दूसरे के पर्याय और पूरक होते हैं। वैसे ही सृजन फाउंडेशन मौलिक रूप से जुड़ी हुई ज़मीनी स्तर पर काम और नये विचारों पर काम करते हैं डा. अमित सर और उनका सृजन परिवार
मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि मुझे सृजन फाउंडेशन परिवार से जुड़ने का मौका मिला। मैं धन्यवाद देती हूं ईश्वर को और उन सभी लोगों को अपनी नीमा पंत मैम का जिन्होंने मुझे इतने अच्छे लोगों से मिलवाया और सृजन के साथ सृजित (रचना) होने को इस रचना को मौका दिया। बहुत-बहुत धन्यवाद।
अपना ये सृजन परिवार बुलंदियों पर पहुंचे यहीं कामना है और बहुत-बहुत बधाई।